Leucorrhoea
श्वेत प्रदर क्यूँ होता है
white discharge kyu hota hai श्वेत प्रदर महिलाओं के स्वास्थ्य और सौंदर्य का शत्रु है। इस रोग से लगभग 80 प्रतिशत महिलाएं पीड़ित होती हैं। एक स्वस्थ नारी की योनि को शुष्क होने से और जीवाणुओं के प्रकोप से बचाने के लिए ग्रंथियों से कुछ-न-कुछ स्राव होता रहता है, जिसमें लैक्टिक एसिड भी होता है।
जब यह स्राव योनिमार्ग से अधिक मात्रा में निकलने लगता है, तब उस अवस्था को श्वेत प्रदर’ के नाम से जाना जाता है। यह साव अकसर सफेद, पीलापन लिए होता है। यह स्राव 11-12 वर्ष की उम्र से 50-52 वर्ष की उम्र तक जारी रह सकता है।
कारण :
श्वेत प्रदर के प्रमुख कारणों में यौनांगों का स्वच्छ न रहना, योनि मार्ग की सूजन, अधिक मैथुन करना, गर्भाशय, गर्भाशय मुख या ग्रीवा की सूजन, योनि में होना, अनियमित मासिक स्राव, अति परिश्रम करना, मूत्राशय की सूजन, पुरुष का सिफलिस, गोनोरिया से पीड़ित होना, विरुद्ध आहार-विहार करना, कामवेग का तीव्र संचार, अश्लील साहित्य पढ़ना, सेक्सी फिल्में देखना, यौन संतुष्टि न मिलने से अप्राकृतिक उपाय अपनाना, अंतःस्रावी ग्रंथियों के हार्मोन्स का असंतुलन, नमकीन, चटपटे, तेज मिर्च-मसालेदार खटाई युक्त तले- भुने पदार्थों का अधिक सेवन, उत्तेजक पदार्थों जैसे चाय, कॉफी, शराब का अति सेवन, धूम्रपान करना, कब्ज, जिगर, गुर्दों के विकार, तनावग्रस्त या चिंतित रहना, ध्रेड वार्म का गुदा से योनि में प्रवेश कर जाना आदि होते हैं।
लक्षण :
इस रोग के लक्षणों में रोगिणी के चेहरे की रौनक और सौंदर्य का खत्म हो जाना, आलस्य, चिड़चिड़ापन, बेचैनी, उदासी, कमजोरी, त्वचा पर झाई, झुर्रियां, सिर दर्द, पेड में भारीपन, कमर दर्द, पैरों के जोड़ों व जांघों में पीड़ा, हाथ-पैरों में जलन, सिर में जकड़न, आंखों के सामने अंधेरा छाना, सिर चकराना, कमर में दर्द रहना, भूख न लगना, अरुचि, योनि में जलन, खुजली की पीड़ा, स्राव से कपड़ों पर दाग लगना आदि देखने को मिलते हैं।
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क्या खाए
नियमित समय पर हलका, सुपाच्य, पौष्टिक, संतुलित भोजन खाएँ।
गेहूँ के आटे की चोकर सहित रोटी, चावल का मांड़, दलिया, छिलके वाली मूंग की दाल, सिंघाड़े के आटे का हलुआ, मसूर की दाल, खाएँ।
पके केले की दूध में बनी खीर और कच्चे केले की सब्जी खाएं।
फलों में आंवला, केला, नारंगी, सेब, नाशपाती टमाटर, फालसा सेवन करें।
सब्जी में मूली, बधुआ, परवल, पालक, मेथी, गाजर, खाएं।
शुद्ध घी, मखानों की खीर, दूध, खजूर का भी सेवन करें।
क्या न खाएँ
भारी, तले, मिर्च-मसालेदार भोजन न खाएं।
बेसन, चना, अंडा, अचार, खटाई, लाल मिर्च, मैदा सेवन न करें।
अरहर की दाल, अरवी, करेला, बैगन, आलू प्याज न खाएं।
कड़क चाय, शराब, कॉफी, तंबाकू का सेवन न करें।
रोग निवारण में सहायक उपाय
क्या करें
योनि की सफाई नियमित रूप से करें।
सुबह-शाम नियमित घूमने जाएं।
हलका व्यायाम जैसे सूर्य नमस्कार रोजाना करें।
पारिवारिक कलह, क्रोध, शोक, चिंता से दूर रहने का प्रयत्र करें।
धार्मिक या सत् साहित्य पढ़ें।
अनियमित मासिक स्राव आने, गर्भाशय या योनि के संक्रमण या सूजन की जांच और चिकित्सा स्त्री रोग विशेषज्ञ से करवाएं।
क्या न करें
सुबह देर तक और दिन में न सोएं।
अत्यधिक मैथुन में लिप्त न रहें।
उत्तेजक घटिया साहित्य न पढ़ें। उत्तेजक फिल्में न देखें।
अत्यधिक परिश्रम न करें।
देर तक खड़े रहना, साइकिल चलाना, घुड़सवारी आदि न करें।
टेरीलिन, नॉयलोन जैसे सिंथेटिक आंतरिक वस्त्र न पहनें।
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